Channel: Down To Earth
Category: Science & Technology
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Description: एक बार फिर से जंगलों में आग लगने की खबरें सुर्खियों में है। आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इससे जहां एक ओर वन संपदा का नुकसान हो रहा है, वहीं आग बुझाने का प्रयास कर रहे लोगों की मौत की खबरें भी आ रही हैं। हर साल जब भी इस तरह की खबरें आती हैं तो साथ ही ये सवाल भी उठने लगते हैं कि आखिर जंगलों की आग लगने का कारण क्या है और इसे रोकने के लिए क्या किया जाना चाहिए? मुद्दा के इस एपिसोड में आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे। लेकिन इससे पहले कि मैं आगे बढ़ूं, मैं गुजारिश करता हूं कि आप हमारी वेबसाइट downtoearth.org.in पर जाकर विज्ञान और पर्यावरण से जुड़ी ताजातरीन जानकारी से खुद को अपडेट रखें। स्क्रीन की दायीं तरफ दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप सीधा वेबसाइट पर जा सकते हैं। आपसे यह भी गुजारिश है कि आप हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें। यहां आपको विज्ञान व पर्यावरण से जुड़े 1000 से ज्यादा वीडियो मिलेंगे। अब आते हैं मुद्दे पर। भारत के जंगलों की निगरानी करने वाली संस्था फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार 1 जनवरी से 31 मार्च 2022 तक देश में 1,36,604 फायर पॉइंट थे। फायर प्वाइंट से मतलब है कि जंगलों में इतनी जगह आग लगने की सूचना फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया यानी एफएसआई को मिली। एफएसआई जंगलों में लगने वाली बड़ी आग का आंकड़ा अलग रखता है। इसे लार्ज फॉरेस्ट फायर कहा जाता है। एफएसआई के अनुसार 30 मार्च 2022 को जंगलों में आग लगने की लगभग 340 बड़ी घटनाएं हुई और उससे अगले 7-8 दिन में बड़ी आग का आंकड़ा 1,141 तक पहुंच गया। जंगलों में आग लगने की घटनाएं साल दर साल बढ़ रही है। 4 अप्रैल 2022 को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में पर्यावरण एवं वन मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि नवंबर 2020 से जून 2021 के बीच जंगलों में आग लगने की 3,45,989 घटनाएं हुई। जबकि नवंबर 2018 से जून 2019 के बीच इन की संख्या 2,10,286 थी। हालांकि नवंबर 2019 से जून 2020 के बीच इसकी संख्या में कमी आई और केवल 1,24,473 घटनाएं ही दर्ज की गई। इन आंकड़ों के बीच यह जानना जरूरी है कि आखिर किन राज्यों में जंगलों में आग लगने की घटनाएं अधिक होती हैं। सरकार के आंकड़े बताते हैं कि नंवबर 2020 से जून 2021 के बीच आग लगने की सबसे अधिक ओडिशा में हुई। यहां इन आठ महीने में 51,968 घटनाएं हुई, जबकि दूसरे नंबर पर मध्यप्रदेश रहा, जहां 47,795 घटनाएं हुई। तीसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ रहा, जहां 38,106 घटनाएं हुई। लेकिन पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील और क्षेत्रफल की दृष्टि से छोटा होने के बावजूद उत्तराखंड में 21,487 घटनाएं होना चौंकाने वाली बात है। स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट, 2019 में कहा गया है कि देश के कुल वन क्षेत्र में से लगभग 2.8% यानी 20,074 वर्ग किमी वन क्षेत्र ऐसा है, जहां आग लगने से सबसे अधिक संभावना रहती है। इस क्षेत्र को extremely fire prone area कहा जाता है। जबकि 56,049 वर्ग किमी ( यानी 7.85% एरिया) में आग लगने की संभावना बहुत अधिक रहती है, जिसे very highly fire prone area की श्रेणी में रखा गया है, जबकि 82,900 वर्ग किमी ( यानी 11.61% एरिया) को highly fire prone और 94,126 वर्ग किमी क्षेत्र को मध्यम दर्जे में रखा गया है। इन आंकड़ों से अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत के कुल वन क्षेत्र का लगभग 22% क्षेत्र में आग लगने की संभावना बनी रहती है। अब बात करते हैं, जंगलों में आग लगने की कुछ ताजा घटनाओं की। हाल ही में राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में लगी आग बुझने का नाम नहीं ले रही है। यहां अब तक 2,000 हेक्टेयर क्षेत्र में आग के कारण प्रभावित हो चुका है। इसके अलावा ओडिशा के मयूरभंज जिले में सिमिलिपाल वाइल्डलाइफ रिजर्व, सीहोर जिले में लडकुई जंगल और मध्य प्रदेश के सतना जिले के मझगवां क्षेत्र के वन क्षेत्र, तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में लगी आग के कारण काफी नुकसान हो चुका है। उत्तराखंड में आग बुझाते वक्त दो लोगों की मौत की खबर है। अब बात करते हैं कि आखिर जंगलों में आग क्यों लगती है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि सूखी पत्तियों, टहनियों, देवदार की नुकीली सूखी पत्तियों जैसी ज्वलनशील सामग्रियों के इकट्ठा होने के अलावा प्राकृतिक एवं मानव जनित कारणों से जंगलों में आग लगती है। तो आइए, समझते हैं कि मानव जनित कारण क्या हैं? दरअसल आग लगने का बड़ा कारण लापरवाही माना जाता है। जैसे कि जंगल से गुजरते वक्त कुछ लोग जलती बीड़ी-सिगरेट फेंक देते हैं। या आग लगा देते हैं। यह भी कहा जाता है कि किसान जब अपने फसल काट लेते हैं तो उसके बाद खेत में आग लगा देते हैं, जो तेज हवा के कारण जंगल तक पहुंच जाती है। यह भी आरोप लगाया जाता है कि महुआ के वृक्षों के फलों को उठाने के लिए ग्रामीण इन पेड़ों के नीचे आग लगाकर उस जंगल को साफ करते है। यह आग जंगल में फैल जाती है। लेकिन जंगलों में बढ़ती आग की घटनाओं के लिए जिम्मेवार बड़े कारण को अनदेखा किया जा रहा है। वह है, बदलता मौसम यानी जलवायु परिवर्तन। इस साल यानी 2022 की ही बात करें तो मौसम विभाग के मुताबिक मार्च 2022 में देश का औसत अधिकतम तापमान 33.10 डिग्री सेल्सियस रहा, जो 1901 से लेकर 2022 के दौरान सबसे अधिक रिकॉर्ड किया गया। इतना ही नहीं मार्च माह में देश में केवल 8.9 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई, जबकि सामान्य तौर पर 47.5 मिलीमीटर बारिश होती है। यानी कि मार्च महीने में एक तो गर्मी बहुत अधिक थी, दूसरा बारिश न होने के कारण नहीं नहीं थी, जिसके चलते जंगल में आग लगने की घटनाएं हुई।